मुक्तक
कहाँ सम हेराई,थारु सस्कृति बचाके देखैहो
हुइटि थारु, पुरान पहिरनमे लगाके देखैहो
डोसरके देखासिखि ना कर्हो हमार पलीपली
जिन्स नाहि नेहेङ्गा चोल्यामे सजाके देखैहो
बिग्रल चुक्कु
राम कुमार डंगौरा थारु
बोक्लौहुवा ,कैलाली
साभार
अप्न फेन साहित्य सृजनाम कलम चलैती बाटि चलैती बाटी कलसे अप्नेहुकनक साथके लाग् संघारी हन संम्झ सेक्ने बाटि । सृजना के साथ साथमे आपन ठेगाना व आपन फोटो फेन पठाइ पर्ना हुईथा फोटा पठाइबेर सकेसम्म एकल आपन फोटो केल रहल पठाइ प्रने बा व कुछु सल्लाह सुझाव बा कलसे फेन सल्लाह सुझाब फेन लिख्न पठाई सेक्बी संघारी हुक्र हामार ठेगाना बा ,संघारी फेसबुक पेज Like कैक Message म फेन पठाइ सेक्बी
ठेगाना : sangsanghari@gmail.com
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