गजल कबु दुख कबु सुख उ बात नि मिलल संग रबि सोच्ठु दिनक उ रात नि मिलल अक्के चुटि बाटेमफे रिसैठी बहुत ढ्यार कसिक सुफ्लैना महि उ आत नि मिलल हेर्टि सुहावान जोर्या बा कठै सबजाने छोटभारी कैके सुत्ना उ खात नि मिलल कहाँ सम सम्झिना हो यहाँ नि बुझ्नम टुँ पापी मै धर्मि कन उ बात नि मिलल न धन सम्पति न उमेर कुछु नि हेर्नु हुकार पर्नु गरिब हुका संग खैना भात नि मिलल
बिग्रल चुक्कु राम कुमार डंगौरा थारु बोक्लौहुवा ,कैलाली
साभार
अप्न फेन साहित्य सृजनाम कलम चलैती बाटि चलैती बाटी कलसे अप्नेहुकनक साथके लाग् संघारी हन संम्झ सेक्ने बाटि । सृजना के साथ साथमे आपन ठेगाना व आपन फोटो फेन पठाइ पर्ना हुईथा फोटा पठाइबेर सकेसम्म एकल आपन फोटो केल रहल पठाइ प्रने बा व कुछु सल्लाह सुझाव बा कलसे फेन सल्लाह सुझाब फेन लिख्न पठाई सेक्बी संघारी हुक्र हामार ठेगाना बा ,संघारी फेसबुक पेज Like कैक Message म फेन पठाइ सेक्बी
ठेगाना : sangsanghari@gmail.com
अप्न फेन साहित्य सृजनाम कलम चलैती बाटि चलैती बाटी कलसे अप्नेहुकनक साथके लाग् संघारी हन संम्झ सेक्ने बाटि । सृजना के साथ साथमे आपन ठेगाना व आपन फोटो फेन पठाइ पर्ना हुईथा फोटा पठाइबेर सकेसम्म एकल आपन फोटो केल रहल पठाइ प्रने बा व कुछु सल्लाह सुझाव बा कलसे फेन सल्लाह सुझाब फेन लिख्न पठाई सेक्बी संघारी हुक्र हामार ठेगाना बा ,संघारी फेसबुक पेज Like कैक Message म फेन पठाइ सेक्बी
ठेगाना : sangsanghari@gmail.com
Comments
Post a Comment